
महराजगंज

स्थानीय कलाओं तथा संस्कृति को गति देने के लिए महराजगंज महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसका आगाज़ 31 अक्टूबर, शनिवार को ज़िले के आला अधिकारियों और दिग्गज जनप्रतिनिधियों के नेतृत्व में धूम-धड़ाके के साथ हुआ।

महराजगंज महोत्सव का आगाज, स्थानीय और बाॅलीवुड कलाओं का संगम
महोत्सव के पहले दिन शुभारंभ के समय स्थानीय संस्कृति और कलाओं की मनमोहक झलकियां प्रस्तुत की गई। छोटे-बड़े स्थानीय कलाकारों ने पहले दिन महोत्सव के आगाज को अपनी बेहतरीन कलाओं के जरिए आकर्षक रूप दिया, वहीं स्कूली छात्र-छात्राओं ने विज्ञान प्रदर्शनी में चमत्कारी कारनामों से सभी का दिल जीत लिया। इस दौरान महोत्सव में बच्चों ने खुद से बनाए गए दो राॅकेट लांच किए, जो करीब 1000-1500 मीटर की उंचाई तक गया, जो महराजगंज महोत्सव के पहले दिन का अनोखा दृश्य और आकर्षण का केंद्र रहा।
दिन में जहां स्थानीय कलाकारों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति से मंच तैयार किया, वहीं शाम के समय बाॅलीवुड के मशहूर गायक ‘असीत त्रिपाठी’ ने अपने गानों से महोत्सव को संगीतमय कर दिया। वर्तमान समय का सबसे लोकप्रिय गाना ‘सैंयारा तूं तो बदला नहीं’ को ‘असीत त्रिपाठी’ ने जैसे ही गुनगुनाया,लोग खड़े हो गए और तालियां बजाकर झुमने लगें। इस तरह से महोत्सव की पहली शाम यादगार लम्हों को समेटे हुए थी।
बाॅलीवुड गायक ‘अंकित तिवारी’ और ग़ज़ल गायक ‘कुमार सत्यम’ ने महोत्सव की दूसरी शाम में लगाया चार-चांद
दूसरी शाम महराजगंज महोत्सव को संगीतमय बनाने के लिए बाॅलीवुड के प्रसिद्ध पार्श्व गायक ‘अंकित तिवारी’ एवं गजल और सूफी गीत में विश्व प्रसिद्ध युवा संगीतकार ‘कुमार सत्यम’ का आगमन हुआ। एक तरफ अंकित तिवारी के गानों से महराजगंज महोत्सव का माहौल संगीतमय हो गया, वहीं दूसरी तरफ कुमार सत्यम ने अपने ग़ज़लों से सामने बैठे दर्शकों को झुमने पर मजबूर कर दिएं। ‘बेवफा तेरा मासूम चेहरा’ और ‘तुम्हारी दौलत नई नई है,’ ग़ज़लों से कुमार सत्यम ने दर्शकों के दिलों को जीत लिया।
महराजगंज महोत्सव मे तीसरी शाम लगा भोजपुरी तड़का,मशहूर गायिका कल्पना पटवारी के गीतों के दिवाने हुए दर्शक
भोजपुरी की स्टार गायिका, ‘कल्पना पटवारी’ ने तीसरी और अंतिम शाम को यादगार बनाते हुए लोगों के दिलों में यहां की कला और संस्कृति की एक छाप छोड़ गईं है।
महोत्सव की तीसरी शाम पूरी तरह से रोंमच से भरी हुई थी। जहां भोजपुरी की मशहूर गायिका ‘कल्पना पटवारी’ ने अपने गीतों से दर्शकों को खूब झुमाईं। एक तरफ कल्पना पटवारी ने अपने भक्ति गीतों जैसे, ‘हमसे भंगिया ना पिसाई ए गणेश के पापा’ से माहौल को भक्तिमय बना दिया, वहीं दूसरी तरफ अन्य भोजपुरी लोकगीतों से महराजगंज महोत्सव को भोजपुरी के रंग में रंगकर चार-चांद लगा दीं। महराजगंज महोत्सव की आखिरी शाम यादगार रही और कल्पना पटवारी ने अपने अदाओं और कलाओं की जादू से लोगों के दिलों में यादों के रूप में अपनी बेहतरीन प्रदर्शन की छाप छोड़ गईं हैं।
कवि सम्मेलन भी महराजगंज महोत्सव को बनाया खास
महोत्सव की तीसरी शाम, दर्शकों को आनंदित होने का दोहरा डोज मिला। एक तरफ कल्पना पटवारी के भोजपुरी गानें और दूसरी तरफ कवि सम्मेलन में कवियों की व्यंग्य, हास्य कवियों की मजेदार कविताओं ने दर्शकों को खूब पसंद और रचनाओं से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवि नीलोत्पल मृणाल ने भोजपूरी में अपनी रचना पढ़कर लोगों को झुमने पर मजबूर कर दिया।
महराजगंज महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम के अलावा,क्या कुछ रहा आकर्षण का केंद्र?
तीन दिवसीय महराजगंज महोत्सव केवल फिल्मी सितारों के वजह से ही खास नहीं बना, बल्कि महोत्सव में अन्य व्यवस्थाएं भी, महोत्सव में चार-चांद लगाने में अत्यंत भूमिका निभाई है।
महोत्सव के तीनों दिन अलग-अलग राज्यों और जनपदों की संस्कृति और सभ्यता तथा रिति-रिवाजों के साथ-साथ वहां की खान-पान को सामाजिक स्तर पर उच्च दर्जा देने के लिए कई स्टाल लगाए गए थें, जो विभिन्न क्षेत्रों के दैनिक जीवन यापन की गतिविधियों को दर्शाता है।
तीन दिवसीय महोत्सव में दिन के समय जहां स्कूली छात्र-छात्राओं को अपने हुनर, विचारों और कलाओं के प्रदर्शन के लिए एक विशेष मंच मिला, वहीं शाम के समय बाॅलीवुड और भोजपुरी गानों की धूम में लोगों को झूमने का सुनहरा अवसर मिला।
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