
सिद्धार्थनगर

डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रतियों ने मांगी आरोग्य और मंगल कामना; महाभारत काल से जुड़ी है परंपरा।पूरी जानकारी के लिए पढ़िए वाॅइस ऑफ़ न्यूज 24 की खास रिपोर्ट

सिद्धार्थनगर जनपद में लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के अवसर पर सोमवार शाम के राप्ती नदी तट, भारतभारी सागर, जखौली पोखरा व तेनुहार पोखर सहित विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं का विशाल सैलाब उमड़ पड़ा।
व्रती महिलाओं ने घुटनों तक जल में खड़े होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया और छठी मइया से अपने परिवार की सुख-समृद्धि, आरोग्य और मंगल की कामना की। दोपहर से ही महिलाएं पारंपरिक गीत-सोहर जैसे “बहंगी लचकत जाय…” गाते हुए बांस की बहंगी में पूजन सामग्री लेकर घाटों की ओर निकल पड़ी थीं, जिससे पूरा वातावरण भक्ति और उल्लास से सराबोर रहा।
पौराणिक मान्यता और पर्व का समापन
नहाय-खाय और खरना के बाद सोमवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महापर्व का तीसरा दिन संपन्न हुआ। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत की शुरुआत महाभारत काल में कुंती द्वारा सूर्य देव की आराधना से हुई थी। छठ देवी को सूर्य देव की बहन माना जाता है। व्रती मंगलवार की प्रातः उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारायण (समापन) करेंगी।
पूर्व विधायक ने दी शुभकामनाएं
पूर्व विधायक राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने इस अवसर पर कहा कि छठ पर्व सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता और आभार प्रकट करने का पर्व है। उन्होंने इसे समाज में भाईचारे और प्रकृति के प्रति सम्मान का संदेश देने वाला पर्व बताया और जनपदवासियों के लिए सुख, समृद्धि तथा खुशहाली की कामना की। छठ पर्व के दौरान राप्ती नदी तट पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे।
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— Voice of News 24 (@VOfnews24) October 27, 2025







