
ब्यूरो रिपोर्ट

जब कुछ करने के जुनून, जज्बे और संघर्षों का सामना उम्र को लेकर सामाजिक कटाक्षों, उपहासों तथा व्यंगों से होता है तो इंसान या तो टूट जाता है।पूरी जानकारी के लिए पढ़िए वाॅइस ऑफ़ न्यूज 24 की खास रिपोर्ट

जब कुछ करने के जुनून, जज्बे और संघर्षों का सामना उम्र को लेकर सामाजिक कटाक्षों, उपहासों तथा व्यंगों से होता है तो इंसान या तो टूट जाता है,या फिर समाज के उन नकारात्मक विचारों की दीवार को अपने मेहनत और हौसलों से तोड़कर एक नया कीर्तिमान स्थापित करता है। कुछ इसी प्रकार की एक प्रेरणादायक कहानी सामने आई है, जो संघर्षों के बीच में बांधाओं की दीवार को तोड़ नई उड़ान भरने के लिए मिशाल एवं प्रेरणा का स्रोत बन गई है।
सुना था कि कहतें है,”जब जागो तभी सवेरा हो जाती है।” दीपा भारती ने आज उक्त पंक्तियों को अपने मेहनत के बलबूते हकीकत की स्पष्ट उदाहरण बन गई है। 3 बच्चों की माँ दीपा भारती शादी के 18 साल बाद UPPSC पास कर समाज में नई सोच और सफलता की नई परिभाषा गढ़ दी है। दीपा भारती ने बताया कि उन्हें बहुत ताने सुनने पड़ते थे और लोग कहते थे कि इस उम्र में तैयारी का कोई मतलब नहीं हैं, लेकिन हमने उन बातों पर ध्यान न देते हुए निरन्तर प्रयासरत रहीं और अपने दिल की सुनी।
लोगों का मानना था कि,एक औरत जिसने अपनी ज़िंदगी के 18 साल परिवार और बच्चों को समर्पित कर दी,अब वह क्या करोगी? लेकिन दीपा ने सफलता की ऐसी दीप जलाई कि उपहास उड़ानें वालों की बत्ती ही गुल हो गई।
इस उम्र में तैयारी का कोई मतलब नहीं ताने का मज़ाक,दीपा की हिम्मत तोड़ने की कोशिश करतें रहें,लेकिन दीपा भारती चुप नहीं बैठी। वह अपने सपनो की लड़ाई लड़ना जारी रखी।
जहाँ लोग कहते थे कि अब देर हो चुकी है, वहीं दीपा ने साबित कर दी कि मेहनत की कोई सीमा नहीं होती और सफलता की कोई उम्र नहीं होती।
दीपा ने अब सपनों की किताबों के पन्नों पर समाज की व्यंगों और कटाक्षों का सामना करते हुए हिम्मत की क़लम और आंशुओं की स्याही से एक नई कहानी रच दी है।
दीपा भारती अब सिर्फ एक नाम ही नहीं बल्कि हर उस इंसान के लिए उम्मीद और प्रेरणा है, जो अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए हालातों की वजह से अधूरा छोड़ देते हैं।
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— Voice of News 24 (@VOfnews24) October 20, 2025







