
महराजगंज

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जिस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, उसी दिन को धनतेरस या धनत्रयोदशी के रूप में मनाया जाता है।पूरी जानकारी के लिए पढ़िए वाॅइस ऑफ़ न्यूज 24 की खास रिपोर्ट

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जिस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, उसी दिन को धनतेरस या धनत्रयोदशी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व दीपावली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है और इस वर्ष 18 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा।
खरीदी के लिए शुभ मुहूर्त
ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, धनतेरस के दिन वृश्चिक, कुंभ और वृष लग्न के समय खरीदारी करना स्थायी समृद्धि लाता है। इस दिन सोना, चांदी, नए बर्तन या वाहन खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है।
भगवान धन्वंतरि का स्वरूप
भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अवतार और देवताओं का वैद्य (चिकित्सक) कहा जाता है। वे चार भुजाओं वाले देवता हैं, जिनके हाथों में अमृत कलश, औषधि, शंख और चक्र होते हैं।
पूजा और महत्व
धनतेरस पर मुख्य रूप से भगवान धन्वंतरि, धन की देवी लक्ष्मी और धन के अधिपति कुबेर देव की पूजा की जाती है। इसके अलावा, शाम के समय यमराज के लिए दीपदान करने की भी परंपरा है, जिससे अकाल मृत्यु से सुरक्षा मिलती है। यह पर्व स्वास्थ्य, दीर्घायु और समृद्धि के संतुलन का संदेश देता है।
उत्तराखंड में बद्रीनाथ के पास कंचन गंगा के ऊपर स्थित कुबेर पर्वत से एक ग्लेशियर टूटकर गिरा है। हालांकि, अच्छी बात यह रही कि इस घटना से किसी तरह के जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है। pic.twitter.com/hfq78upb37
— Voice of News 24 (@VOfnews24) October 17, 2025







