मनमोहन सिंह और सुषमा स्वराज की लोकसभा में शायराना बहस: एक ऐतिहासिक पल

Voice Of News 24 

27 Dec 2024 21:05 PM ,

ब्यूरो रिपोर्ट ,Sumit Saini 

दुनिया में दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक महान अर्थशास्त्री के रूप में जाना जाता है, लेकिन बहुत कम लोग उनके शायराना अंदाज से परिचित हैं। पूरी जानकारी के लिए पढ़िए वाॅइस ऑफ़ न्यूज 24 की खास रिपोर्ट

दुनिया में दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक महान अर्थशास्त्री के रूप में जाना जाता है, लेकिन बहुत कम लोग उनके शायराना अंदाज से परिचित हैं। एक दुर्लभ मौका तब देखने को मिला, जब उन्होंने सुषमा स्वराज के साथ लोकसभा में शायरी के माध्यम से तीखी बहस की, जो अब तक एक ऐतिहासिक संसदीय पल के रूप में याद किया जाता है।

यह घटना 2011 में उस समय हुई, जब भारतीय जनता पार्टी की नेता सुषमा स्वराज ने लोकसभा में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी मनमोहन सिंह सरकार पर हमला किया। सुषमा स्वराज ने इस दौरान उर्दू शायरी का सहारा लेते हुए प्रधानमंत्री पर कटाक्ष किया और कहा,

“तू इधर उधर की ना बात कर, यह बता कि काफिला क्यों लूटा, हमें राहजनो से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है.”

सुषमा का यह शेर सीधे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार और उसके भ्रष्टाचार पर हमला था।

लेकिन, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस आरोप का सामना करने के लिए एक अलग ही तरीका अपनाया। उन्होंने सुषमा स्वराज के हमले का प्रतिकार उग्र बयान देकर नहीं, बल्कि शायरी के जरिए किया। उन्होंने अल्लामा इकबाल की मशहूर शायरी पढ़ी,
“माना कि तेरी दीद के काबिल नहीं हूं मैं, तू मेरा शौक देख, मेरा इंतजार देख.”
मनमोहन सिंह का यह शायराना जवाब न केवल लोकसभा में मौजूद सभी नेताओं को चौंका गया, बल्कि यह संसद की सबसे यादगार और चर्चित बहसों में से एक बन गया।

संसदीय बहस का ऐतिहासिक वीडियो

यह शायरी का आदान-प्रदान उस समय यूट्यूब और सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस बहस को अब तक सबसे ज़्यादा देखी जाने वाली संसदीय बहसों में से एक माना जाता है, क्योंकि इसमें राजनीतिक तीव्रता के साथ साहित्यिक तत्व भी जुड़ा हुआ था। मनमोहन सिंह के शायराना अंदाज ने दर्शाया कि वह केवल एक कुशल अर्थशास्त्री नहीं, बल्कि एक संवेदनशील और गहरे साहित्यिक रुचि वाले व्यक्ति भी थे।

 

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