पीएम मोदी ने मोहन भागवत के ‘प्रेरणादायक’ संबोधन की सराहना की, कहा- पूरे विश्व को होगा लाभ

ब्यूरो रिपोर्ट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरुवार को विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के संबोधन की सराहना की है।पूरी जानकारी के लिए पढ़िए वाॅइस ऑफ़ न्यूज 24 की खास रिपोर्ट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरुवार को विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के संबोधन की सराहना की है। पीएम मोदी ने कहा कि भागवत का संबोधन प्रेरणादायक है और इससे पूरे विश्व को फायदा होगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “संघचालक डॉ. मोहन भागवत का प्रेरणादायक संबोधन, जिसमें उन्होंने राष्ट्र निर्माण में आरएसएस के समृद्ध योगदान पर प्रकाश डाला व हमारी भूमि में गौरव की नई ऊंचाइयों को हासिल करने की अंतर्निहित क्षमता पर बल दिया, जिससे संपूर्ण विश्व को लाभ होगा।”

भागवत ने किया ‘आदर्श’ समाज बनाने का आह्वान
इससे पहले, नागपुर के ऐतिहासिक रेशमबाग मैदान में आयोजित शताब्दी समारोह में बोलते हुए मोहन भागवत ने राष्ट्र के लिए संघ के दृष्टिकोण और लक्ष्यों को प्रस्तुत किया। उन्होंने समाज से ऐसा ‘आदर्श’ बनाने का आग्रह किया जो साथी नागरिकों को भारत की प्रगति में योगदान देने के लिए प्रेरित कर सके।

भागवत ने कहा कि भारत को एक महाशक्ति के रूप में उभरने के लिए, व्यक्तिगत और राष्ट्रीय चरित्र, दोनों को मजबूत करना होगा। उन्होंने संघ शाखाओं की भूमिका बताते हुए कहा कि वे मूल्यों और अनुशासन को बढ़ावा देने वाले दैनिक कार्यक्रमों के माध्यम से राष्ट्रीय पहचान और गौरव का संचार करते हैं।

‘पंच परिवर्तन’ पर दिया जोर
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि शताब्दी वर्ष में संघ का लक्ष्य ‘व्यक्ति निर्माण’ के कार्य को पूरे देश में विस्तार देना है, जिसके तहत ‘पंच परिवर्तन’ पहल को स्वयंसेवकों के उदाहरणों से समाज के सभी वर्गों द्वारा अपनाया जाएगा।

उन्होंने बताया कि ‘पंच परिवर्तन’ के मूल्य सामाजिक समरसता, पारिवारिक मूल्यों के संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, आत्म-सम्मान और आत्मनिर्भरता तथा कानूनी, नागरिक और संवैधानिक कर्तव्यों के पालन पर केंद्रित हैं।

पड़ोसी देशों की अस्थिरता पर जताई चिंता
भागवत ने अपने संबोधन में पड़ोसी देशों में बढ़ती अस्थिरता पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में व्यापक जन असंतोष के कारण हुए शासन परिवर्तनों का हवाला दिया और चेतावनी दी कि ऐसी घटनाएं भारत के भीतर सतर्कता और आत्मनिरीक्षण की मांग करती हैं।

 

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