बरेली : शिक्षा के व्यापारियों ने बेटी को आत्महत्या करने पर किया मजबूर, फ़ीस बाकी होने के कारण परीक्षा से वंचित होने पर बेटी ने उठा ली खौफनाक कदम

ब्यूरो रिपोर्ट

जब शिक्षा धनार्जन और व्यापार का माध्यम बन जाता है तो कई मासूमों की भविष्य के साथ ही जिंदगी भी ले लेता है।पूरी जानकारी के लिए पढ़िए वाॅइस ऑफ़ न्यूज 24 की खास रिपोर्ट 

जब शिक्षा धनार्जन और व्यापार का माध्यम बन जाता है तो कई मासूमों की भविष्य के साथ ही जिंदगी भी ले लेता है। कुछ इसी प्रकार का एक दिल दहला देने वाली घटना बरेली से सामने आई है। जो प्राइवेट स्कूलों की निर्दयता और पैसे से लगाव के आइने में एक मासूम बेटी के मौत की तस्वीर अब माता-पिता के कलेजे में आग लगा रही है।

ये दर्दनाक कहानी अशोक गंगवार ऑटो ड्राइवर के बेटी की है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे अशोक अपनी 9वीं कक्षा में पढ़ रही बेटी की फीस नहीं जमा कर पाये। पिता अशोक ने प्रिंसिपल से बच्ची को एग्जाम में बैठाने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने परीक्षा में बेटी को बैठाने से साफ इन्कार कर दिया। पिता की लाचारी और विद्यालय पर अपमान को वह मासूम बच्ची बर्दास्त नहीं कर पायी और बच्ची ने आत्महत्या कर ली और माता-पिता की बेटी को लेकर जो ख्वाहिशें थीं,अब ख्वाब बनकर ही रह गई।
अब सवाल यह है कि, चुनावी मंचों पर शिक्षा को जरिया बनाकर घंटों भाषण देने वाले दावे क्या उसी मंचों पर ही दम तोड़ रहें हैं? क्योंकि उन दावों की जमीनी हकीकत तो यह है कि, पैसे के आभाव में एक बेटी अपने आप को कुर्बान कर दे रही है तो फिर कहां गए वो लंबी-चौड़ी बातें और ‘पढा़ई में पैसा बांधा नहीं बन सकता’ जैसे दावे? क्या शिक्षा भी अब पैसों का भूखा है?
क्या बच्चों का हुनर और कुछ करने का जज्बा,उनकी काबिलियत के बजाय पैसे पर निर्भर करेगा?
जब शिक्षा का उद्देश्य देश की दशा को बदलने के बजाय धनार्जन में तब्दील होगा तो वास्तव में देश के निम्न तबके के बच्चों के लिए शिक्षा का ख्वाब आर्थिक तंगी की बोझ तले ही दबकर रह जायेगा

 

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