बलरामपुर:पुलिस ने उपडाकघर में एक करोड़ रुपये से अधिक का गबन किया खुलासा,पूर्व पोस्टमास्टर समेत दो गिरफ्तार

बलरामपुर

बलरामपुर जनपद के उतरौला कोतवाली पुलिस ने उपडाकघर उतरौला में हुए एक बड़े सरकारी धन के गबन का खुलासा करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है।पूरी जानकारी के लिए पढ़िए वाॅइस ऑफ़ न्यूज 24 की खास रिपोर्ट

बलरामपुर जनपद के उतरौला कोतवाली पुलिस ने उपडाकघर उतरौला में हुए एक बड़े सरकारी धन के गबन का खुलासा करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस अधीक्षक विकास कुमार के निर्देशन में हुई इस कार्रवाई से जिलेभर में हड़कंप मच गया है।

गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान पूर्व पोस्टमास्टर नरेंद्र प्रताप (निवासी रानीपुर, थाना कप्तानगंज, बस्ती) और उनके सहयोगी सुनील कुमार (निवासी विशुनापुर बेलभरिया, थाना खरगूपुर, गोंडा) के रूप में हुई है। इन दोनों पर मिलकर ₹1,00,60,249 की सरकारी राशि के गबन का आरोप है।

ऐसे हुआ घोटाले का खुलासा

इस बड़े घोटाले का खुलासा तब हुआ जब बलरामपुर डाक उपमंडल के सहायक अधीक्षक अशोक कुमार ने 12 जून 2025 को कोतवाली उतरौला में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में बताया गया था कि तत्कालीन पोस्टमास्टर नरेंद्र प्रताप ने 14 दिसंबर 2023 से 9 जुलाई 2024 के बीच उपडाकघर उतरौला से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, शाखा उतरौला में फर्जी तरीके से धनराशि प्रेषण दिखाया, जबकि यह धन वास्तव में बैंक को भेजा ही नहीं गया था।

पुलिस की त्वरित कार्रवाई और गिरफ्तारी

मामले की गंभीरता को देखते हुए कोतवाली उतरौला में भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 467, 468, 471 के तहत तुरंत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की गई। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर अपर पुलिस अधीक्षक विशाल पांडे, क्षेत्राधिकारी उतरौला राघवेंद्र प्रताप सिंह, और क्षेत्राधिकारी ललिया डॉ. जितेंद्र कुमार के पर्यवेक्षण में प्रभारी निरीक्षक अवधेश राज सिंह ने एक विशेष टीम गठित कर जांच को तेज किया।

आज पुलिस को मिली गुप्त सूचना के आधार पर प्रभारी निरीक्षक और उनकी टीम ने दोनों वांछित अभियुक्तों को गोंडा रोड स्थित नहर पुलिया भड़वाजो के पास से गिरफ्तार कर लिया।

अव्यवस्था का फायदा उठाकर किया गबन

पुलिस अधीक्षक बलरामपुर विकास कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि पूछताछ में आरोपी नरेंद्र प्रताप ने कबूल किया कि जब उन्होंने उपडाकघर उतरौला में कार्यभार संभाला था, तब वहां कोई खजांची नहीं था और लेखा मिलान भी दो-तीन साल पीछे चल रहा था। इसी अव्यवस्था का फायदा उठाकर उन्होंने और उनके साथी सुनील ने फर्जी दस्तावेज बनाकर रकम बैंक में भेजने का दिखावा किया और करोड़ों रुपये का गबन कर लिया। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उन्हें लगा था कि बैंक और डाकघर के स्टेटमेंट मेल न खाने के कारण यह घोटाला पकड़ा नहीं जाएगा।

गिरफ्तार आरोपियों को आवश्यक विधिक कार्रवाई के बाद न्यायालय भेज दिया गया है। पुलिस इस मामले से जुड़े अन्य कर्मचारियों की भूमिका की भी गहनता से जांच कर रही है।

 

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