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19 Dec 2022 15:50PM
1990 बैच के आईपीएस अधिकारी राजविंदर सिंह भट्टी को बिहार का नया डीजीपी नियुक्त किया गया. राजविंदर सिंह भट्टी एसके सिघल का स्थान लेगे. राजविंदर सिंह भट्टी का कार्यकाल 30 सितंबर 2025 तक का होगा. वर्तमान में बीएसएफ पूर्वी कमान के एडीजी के पद पर कार्यरत थे. सितंबर 2021 में राजविंदर सिंह भट्टी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति चले गये थे. इससे पूर्व आईपीएस भट्टी फिलहाल बिहार में विशेष सशस्त्र पुलिस बल के डायरेक्टर जनरल के पद पर कार्यरत थे.
आरएस भट्टी मूल रूप से पंजाब के रहने वाले हैं. पूर्व में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के तहत दो बार सीबीआई में अपनी सेवा दे चुके हैं. सीबीआई में दूसरे कार्यकाल के दौरान सीबीआई निदेशक रहे रंजीत सिन्हा, अनिल सिन्हा और फिर आलोक कुमार वर्मा के वक्त कार्यरत थे. उसके बाद उनका तबादला एयरपोर्ट ऑथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) में चीफ विजिलेंस ऑफिसर (CVO) के तौर पर हो गया था. उसके बाद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के रूप में आईपीएस भट्टी 21 अक्टूबर 2019 तक रहे उसके बाद वापस बिहार आ गए थे. फिर सितंबर 2021 में केद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गये थे.
कड़क अधिकारी के तौर पर जाने जाते है भट्टी
आरएस भट्टी कानून -व्यवस्था को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास किया. बिहार में बहुत ही कड़क अधिकारी के तौर पर जाना जाता है. कानून -व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए और बड़े -बड़े अपराधियों, बाहुबली नेताओं के खिलाफ कार्रवाई से चर्चित रहे है. शहाबुद्दीन, प्रभुनाथ सिंह, दिलीप कुमार सिंह जैसे बाहुबलियों की गिरफ्तारी में प्रमुख योगदान रहा है. 2005 के विधानसभा चुनाव में आरएस भट्टी को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस बिहार के सीवान का डीआईजी बनाया गया था. आरएस भट्टी ने ही सिवान के बाहुबली शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करने की विशेष गुप्त योजना बनाई थी. आईपीएस भट्टी ने ही बिजली चोरी के मामले में पांच सदस्यों की टीम बनाकर शहाबुद्दीन के दिल्ली निवास से उसकी गिरफ्तारी के लिए एक महिला सब इंस्पेक्टर गौरी कुमारी को आगे करके उसकी गिरफ्तारी और उसके बाद उसे सुरक्षित तरीके से दिल्ली से पटना स्पेशल हेलीकॉप्टर से लेकर जाने की गुप्त योजना बनाई थी. आज भी कहा जाता है कि अगर उस वक्त ट्रेन या सड़क मार्ग से शहाबुद्दीन को लेकर बिहार पुलिस दिल्ली से जाती तो उस वक्त शहाबुद्दीन के काफी समर्थक और कुछ राजनेताओं द्वारा एक बड़ी साजिश रची गई थी. जो आज भी पुलिस की तफ्तीश रिपोर्ट में दर्ज है. इस ऑपरेशन के मास्टरमाइंड आरएस भट्टी ही थे. उस वक्त बिहार में लालू प्रसाद यादव की परोक्ष तौर पर सरकार चलती थी और शहाबुद्दीन उनके बेहद खास होते थे. कहा जाता है कि उस वक्त उसी राजनीतिक दबाव की वजह से आईपीएस भट्टी का दिल्ली तबादला करवा दिया गया था, लेकिन उस वक्त मात्र ढाई महीने के कार्यकाल में वो कभी भी बाहुबली नेता या राजनीतिक दबाव के आगे झुके नहीं.