वी नारायणन ISRO के नए चेयरमैन बनाए गए, रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट के हैं एक्सपर्ट

ब्यूरो रिपोर्ट

भारत सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नए अध्यक्ष के रूप में वैज्ञानिक वी नारायणन (V Narayanan) की नियुक्ति की घोषणा की है। पूरी जानकारी के लिए पढ़िए वाॅइस ऑफ़ न्यूज 24 की खास रिपोर्ट

भारत सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नए अध्यक्ष के रूप में वैज्ञानिक वी नारायणन (V Narayanan) की नियुक्ति की घोषणा की है। वह एस सोमनाथ (S Somnath) का स्थान लेंगे, जो वर्तमान में ISRO के अध्यक्ष हैं। इसके साथ ही वी नारायणन को अंतरिक्ष विभाग के सचिव का अतिरिक्त कार्यभार भी सौंपा जाएगा।

कैबिनेट की नियुक्ति समिति के आदेश के अनुसार, वी नारायणन 14 जनवरी को पदभार ग्रहण करेंगे। वह अगले दो वर्षों तक या अगली सूचना तक इस महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी संभालेंगे।

वी नारायणन की नियुक्ति ISRO के लिए एक नया अध्याय शुरू करेगी, क्योंकि उनकी नेतृत्व क्षमता से अंतरिक्ष क्षेत्र में नए मील के पत्थर हासिल किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है।

वी नारायणन के बारे में जानिए

वी नारायणन एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक हैं जिनके पास रॉकेट और अंतरिक्ष यान प्रणोदन में लगभग चार दशकों का अनुभव है। वह एक रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट प्रोपल्शन विशेषज्ञ हैं और 1984 में इसरो में शामिल हुए और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (LPSC) के निदेशक बनने से पहले विभिन्न पदों पर कार्य किया।

प्रारंभिक चरण के दौरान उन्होंने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में साउंडिंग रॉकेट्स और संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (ASLV) और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) के ठोस प्रणोदन क्षेत्र में काम किया।

एस सोमनाथ ने जनवरी 2022 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष का पद संभाला था । उनके कार्यकाल में ISRO ने ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं, जिनमें सबसे प्रमुख चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग करना था।

यह उपलब्धि भारत के लिए बेहद गर्व की बात थी क्योंकि भारत चंद्रमा के इस कठिन हिस्से पर रोवर उतारने वाला पहला देश बना। इसके साथ ही, भारत ने अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग हासिल करने वाले देशों के एक विशिष्ट क्लब में अपनी जगह बनाई।

एस सोमनाथ की नेतृत्व में ISRO ने अंतरिक्ष अन्वेषण में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं और भारत को वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित किया। उनके कार्यकाल के दौरान, ISRO की अंतरिक्ष मिशनों की सफलता ने भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छुईं।

 

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