कोलकाताः तृणमूल कांग्रेस (Trinamool congress TMC) में पुरानी और नई पीढ़ी के नेताओं के बीच मतभेद इतने बढ़ गए कि खुद ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को दखल देना पड़ा है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को राष्ट्रीय पदाधिकारियों की समिति को भंग कर दिया. इसमें ममता के भतीजे और राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी (Abhishek Banerjee) भी थे. ममता ने इसकी जगह 20 सदस्यों वाली नई राष्ट्रीय कार्य समिति बनाई है. ममता का ये कदम टीएमसी में अभिषेक बनर्जी की मुखालफत, ‘एक व्यक्ति-एक पद’ की नीति के सार्वजनिक विरोध और प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की संस्था I-PAC को लेकर उठते सवालों के बीच सामने आया है.
पार्टी लाइन से अलग अभिषेक?
पिछले साल पश्चिम बंगाल (West Bengal) विधानसभा चुनावों में भारी जीत के बाद अभिषेक बनर्जी को टीएमसी में ममता बनर्जी के बाद अघोषित तौर पर नंबर-2 माना जाने लगा था. लेकिन पिछले कुछ महीनों में उन्होंने कई ऐसे फैसले किए, जो साफतौर पर पार्टी लाइन से अलग थे. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अभिषेक ने बंगाल के निकाय चुनावों में ऐसे नेताओं या उनके रिश्तेदारों को टिकट न देने की बात कही, जिनका आपराधिक इतिहास रहा है. लेकिन ममता बनर्जी ने टिकट बंटवारे में इसे अनदेखा कर दिया. बंगाल सरकार जब गंगासागर मेले का बड़े पैमाने पर प्रचार कर रही, अभिषेक बनर्जी ने मांग कर दी कि कोरोना महामारी के इस दौर में कोई बड़ा राजनीतिक या धार्मिक आयोजन नहीं होना चाहिए. अभिषेक ने निकाय चुनावों में निष्पक्षता पर बयान दिया, जिसे विपक्षी दलों के ममता सरकार पर लगाए जा रहे मनमानी के आरोपों की पुष्टि के तौर पर देखा गया. इनके अलावा, अभिषेक ने अपने विधानसभा क्षेत्र में उस वक्त कोरोना की रिकॉर्ड टेस्टिंग अभियान का आयोजन कर डाला जब केंद्र ममता सरकार को कोरोना के कम नंबरों को लेकर कठघरे में खड़ा कर रहा था.
निकाय उम्मीदवारों की दो लिस्ट
इन सब बातों को लेकर मामला इतना गरमाया कि टीएमसी के वरिष्ठ नेता कल्याण बनर्जी ने अभिषेक के बयानों को राज्य सरकार के लिए चुनौती बताते हुए उन्हें अपना नेता मानने से ही इनकार कर दिया. इसके बाद कई नेताओं ने कल्याण बनर्जी के खिलाफ तीखी बयानबाजी की. अभिषेक बनर्जी और पार्टी के पुराने नेताओं के बीच की खाई निकाय चुनावों के प्रत्याशियों की घोषणा के वक्त भी नजर आई. उम्मीदवारों की दो लिस्ट जारी कर दी गईं. एक पार्थ चटर्जी, फिरहाद हाकिम, अरूप बिस्वास और सुब्रत बख्शी जैसे वरिष्ठ नेताओं की ओर से. और दूसरी संभवतः प्रशांत किशोर की I-PAC की ओर से तैयार लिस्ट जिसे पार्टी की आधिकारिक बेवसाइट पर जारी किया गया. I-PAC को अभिषेक बनर्जी का पूरा समर्थन माना जाता है.
एक व्यक्ति-एक पद
अभिषेक बनर्जी टीएमसी में एक व्यक्ति-एक पद के सिद्धांत की जोरदार वकालत करते रहे हैं. 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी ने भी इस पर सैद्धांतिक सहमति जताई थी. लेकिन हाल के दिनों में इसे लेकर पार्टी के अंदर काफी खींचतान दिखी है. ममता सरकार में मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य के मामले को लेकर तो I-PAC के साथ सार्वजनिक छीछालेदर हुई थी. दरअसल चंद्रिमा के ट्विटर पेज पर बैनर में ये लिख दिया गया था कि मैं एक व्यक्ति-एक पद की नीति का समर्थन करती हूं. लेकिन चंद्रिमा ने साफ कहा कि बैनर को I-PAC के लोगों ने बदला है, जो उनके ट्विटर हैंडल को संभालते हैं. I-PAC ने बयान जारी करके इसका खंडन किया. लिखा कि I-PAC तृणमूल के किसी भी नेता की डिजिटल प्रॉपर्टी को हैंडल नहीं करता. चंद्रिमा की तरफ इशारा करते हुए आगे कहा गया कि जो कोई भी ऐसा दावा कर रहा है, उसे या तो जानकारी नहीं है या वो सरासर झूठ बोल रहा है.
ममता बनर्जी ने दिया दखल
टीएमसी में बढ़ती इस तकरार के बीच ममता बनर्जी ने रविवार को बैठक बुलाकर नई नेशनल वर्किंग कमेटी के गठन का ऐलान किया. पार्टी के सभी मौजूदा पदाधिकारी, जिनमें अभिषेक बनर्जी भी शामिल हैं, के पदों को भंग कर दिया गया. इस बारे में एक वरिष्ठ नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि पिछले कुछ समय से पार्टी में मतभेदों को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन ममता बनर्जी ने इस फैसले से साफ संदेश दिया है कि टीएमसी में अंतिम फैसला उन्हीं का है और एक व्यक्ति-एक पद की नीति निकट भविष्य में अमल में नहीं लाई जाएगी. उनका कहना है कि ममता ने अभिषेक के करीबी डेरेक ओ ब्रायन और सौगत राय को भी बाहर कर दिया है. ये फैसला भी किया गया है कि बंगाल के रोजमर्रा के कामों में I-PAC को शामिल नहीं किया जाएगा.
लेकिन क्या ममता के इस फैसले से तृणमूल में उठा मतभेदों का गुबार शांत हो पाएगा? पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि ये शांति सिर्फ कुछ समय के लिए ही है. मौका पाते ही यह विवाद फिर से सिर उठा सकता है.
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Tags: पश्चिम बंगाल, ममता बनर्जी
FIRST PUBLISHED : February 15, 2022, 14:37 IST