
ब्यूरो रिपोर्ट
भारतीय वायुसेना का 62 साल पुराना और सबसे भरोसेमंद लड़ाकू विमान मिकोयन ग्युरेविच, जिसे प्यार से मिग-21 कहा जाता है।पूरी जानकारी के लिए पढ़िए वाॅइस ऑफ़ न्यूज 24 की खास रिपोर्ट
भारतीय वायुसेना का 62 साल पुराना और सबसे भरोसेमंद लड़ाकू विमान मिकोयन ग्युरेविच, जिसे प्यार से मिग-21 कहा जाता है। आज 26 सितंबर 2025 को चंडीगढ़ से अपनी आखिरी उड़ान के साथ सेवा से विदाई ले रहा है। भारत-चीन युद्ध के बाद देश की रक्षा पंक्ति में शामिल हुआ यह सुपरसोनिक विमान, दो पीढ़ियों तक भारतीय आसमान का रक्षक रहा है।
1963 से 2025: एक ऐतिहासिक सफर
मिग-21 का सफर 1963 में तब शुरू हुआ, जब पाकिस्तान को अमेरिका से F-104 जैसे अत्याधुनिक विमान मिले थे। सोवियत यूनियन ने भारत की मदद के लिए मिग-21 को टुकड़ों में समंदर के रास्ते भेजा, जिसे सोवियत इंजीनियरों ने बॉम्बे में जोड़ा।
पहली उड़ान और साउंड बैरियर: अप्रैल 1963 में, विंग कमांडर दिलबाग सिंह मिग-21 को ताशकंद से उड़ाकर आगरा के रास्ते चंडीगढ़ लाए थे, जिसकी रफ़्तार से साउंड बैरियर टूट गया था।
नंबर 28 स्क्वाड्रन का गठन: 2 मार्च 1963 को दिलबाग सिंह की कमान में 6 मिग-21 विमानों के साथ नंबर 28 स्क्वाड्रन का गठन हुआ, जिसे ‘फर्स्ट सुपरसोनिक्स’ कहा गया।
युद्धों में शौर्य: इस विमान ने 1965 और 1971 की जंग में दुश्मनों को धूल चटाई, जिसने इसकी उपयोगिता को साबित किया। 1971 तक इसकी 8 स्क्वाड्रन पूरी तरह तैयार थीं।
कारगिल से अभिनंदन तक की गौरव गाथा
मिग-21 भारतीय वायुसेना के इतिहास के कई गौरवशाली पलों का साक्षी रहा है। कारगिल युद्ध में इसने बेहतरीन प्रदर्शन किया। हाल ही के वर्षों में इसका सबसे बड़ा गौरव तब बढ़ा, जब इसके पायलट विंग कमांडर अभिनंदन ने इसी के उन्नत संस्करण मिग-21 बाइसन से पाकिस्तान के अत्याधुनिक F-16 विमान को मार गिराया था, जिसने पूरे विश्व में इसका नाम रोशन किया।
दर्दनाक हादसे और ‘उड़ता ताबूत’ का दाग
अपनी लंबी सेवा के दौरान मिग-21 को कई दर्दनाक हादसों का सामना भी करना पड़ा। इसे ‘उड़ता ताबूत’ और ‘विडो मेकर’ जैसे नाम भी मिले। रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इसके 400 से ज़्यादा विमान क्रैश हुए, जिनमें 200 से अधिक पायलट शहीद हो गए। 2002 में जालंधर में हुए एक हादसे में 8 आम नागरिक भी मारे गए थे, जिसके बाद इसे सेवा से बाहर करने की मांग उठी थी।
अंतिम विदाई और विरासत
आज, चंडीगढ़ में मिग-21 अपनी आखिरी उड़ान भर रहा है। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और स्क्वाड्रन लीडर प्रिया शर्मा इसके पंखों पर सवार हो सकते हैं। इस ऐतिहासिक विदाई में जगुआर और स्वदेशी तेजस LCA MK-1 भी शामिल होंगे, जो नए युग के योद्धाओं के आने का संकेत है।
चंडीगढ़, जो 1963 में इस विमान का अस्थायी घर बना था, उसने इसकी विरासत को सहेजने का काम किया है। अब मिग-21 को IAF हेरिटेज म्यूजियम में देखा जा सकेगा। भले ही मिग-21 की उड़ानें रुक रही हों और शायद भविष्य में इसे UAV (ड्रोन) के लिए टारगेट के तौर पर इस्तेमाल किया जाए, लेकिन 62 साल तक भारतीय आसमान की रक्षा करने वाले इस योद्धा की कहानी भारतीय वायुसेना के इतिहास में हमेशा अमर रहेगी।
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