नेपाल हिंसक प्रदर्शन,युवाओं ने मनवाया लोहा, फिर सामने आ गई पंक्ति,जिस ओर जवानी चलती है उस ओर ज़माना चलता है!, जानें क्या है पूरी कहानी?

ब्यूरो रिपोर्ट

यूट्यूब, इंस्टाग्राम, वाट्सएप एवं फेसबुक समेत सोशल मीडिया के कुल 26 प्लेटफार्म पर बैन लगाने की खबर जैसे ही नेपाल में सुलगी, युवाओं में खलबली सी मच गई। पूरी जानकारी के लिए पढ़िए वाॅइस ऑफ़ न्यूज 24 की खास रिपोर्ट

यूट्यूब, इंस्टाग्राम, वाट्सएप एवं फेसबुक समेत सोशल मीडिया के कुल 26 प्लेटफार्म पर बैन लगाने की खबर जैसे ही नेपाल में सुलगी, युवाओं में खलबली सी मच गई, लगभग 28 वर्ष तक के युवाओं की आक्रोशित टोली सड़कों पर उतर आई और धीरे-धीरे प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। नेपाल के काठमांडू,पोखरा एवं भैरहवा जैसे अन्य मुख्य स्थानों पर युवा प्रदर्शनकारियों ने तोड़-फोड़ मचाना शुरू कर दिया।

हालात बेकाबू होते जा रहा था और नेपाल सरकार अपने फैसले को कायम रखना चाहा, लेकिन जब युवाओं की टोली जगह-जगह आगजनी घटनाओं को अंजाम देने लगें तो नेपाल सरकार के सामने यह समस्याएं पहाड़ बनकर खड़ी होने लगी। आक्रोशित युवा सुरक्षाबलों का सामने करते हुए आगे बढ़ते गए और सुरक्षाबलों ने उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस छोड़ दिया, फिर भी युवा प्रदर्शनकारी नहीं मानें तो उन पर सुरक्षाबलों ने गोलियां चलानी शुरू कर दी।
इस दौरान दर्जनों लोगों के मौत एवं सैकड़ों लोगों की हालत गंभीर हो गई। सड़कों पर युवाओं की मौत के मंजर और उनके खून से सनी मिट्टी ने भयावह रूप सामने ला दिया। प्रदर्शनकारियों का जज्बा कायम रहा और प्रदर्शन की ऊर्जा बढ़ती रही।

हालात को देखते हुए नेपाली सरकार ने उन सभी सोशल मीडिया के 26 प्लेटफार्म से प्रतिबंध हटा दिया, फिर भी प्रदर्शनकारी नहीं मानें और भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने के जज्बे से आगे बढ़ दिए। सुरक्षाबलों के कठोर रवैयों से प्रदर्शनकारी युवा और भी ज्यादा आक्रोश में आ गए और संसद-भवन को ही घेर लिया। मंत्रियों को सड़कों पर दौड़ा-दौड़ाकर मारने लगें। कहीं आग लगाकर तो कहीं सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए भ्रष्टाचारी शासन-व्यवस्था का विरोध करने लगें।
आखिरकार नेपाली सरकार को युवाओं के सामने नतमस्तक होना पड़ा। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के सभी 21 सांसद के इस्तीफे की खबर और नेपाली संसद भंग कर पुनः चुनाव कराने की मांग,नेपाल की राजनीति का काला अध्याय साबित हो गया है।

 

इतना ही नहीं उक्त मंत्रियों एवं राजनीतिक दलों के इस्तीफे के बाद भी प्रदर्शनकारी कहां मानने वालें हैं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री
झलनाथ खनाल के घर में आग लगा दी और उनकी पत्नी विजयलक्ष्मी को जीते जी धधकती आग की लपटों में झोंक दिया, जिससे उनकी मौत हो गई।

 

अब सवाल यह है कि इतने उग्र प्रदर्शन का कारण केवल सोशल मीडिया के 26 प्लेटफार्म पर बैन लगाना था? तो इसका जवाब है ‘नहीं’। क्योंकि पिछले कई वर्षों से नेपाली शासन-व्यवस्था युवाओं के लिए संकट बनकर खड़ी थी। बेरोज़गारी और भ्रष्ट शासन व्यवस्था जहां नेपाली युवाओं के अंदर पिछले कई वर्षों से ज़हर घोल रहा था वहीं दूसरी तरफ सरकार की नाकामियां और मनमानियां देश को खोखला बना रही थी।

 

पिछले कई वर्षों के मुसीबतों की चिंगारी तब ज्वाला बन गई,जब नेपाली सरकार ने सोशल मीडिया के 26 प्लेटफार्म बैन की घोषणा कर दी। युवा प्रदर्शनकारियों की लड़ाई का लक्ष्य बैन हुए सोशल मीडिया के प्लेटफार्म के जरिए शुरू होकर भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने तक है।
युवाओं का यह प्रयास तब रंग लाने लगा,जब देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत अन्य राजनीतिक दल भयभीत होकर सिलसिलेवार इस्तीफे देने लगें।
तब ‘जिस ओर जवानी चलती है उस ओर ज़माना चलता है’, पंक्ति का नेपाली प्रदर्शनकारी युवा भ्रष्टाचार पर नकेल कस कर जीता-जागता उदाहरण बन गएं।

अब सवाल यह है कि क्या इस प्रदर्शन से नेपाली राष्ट्र व्यवस्था को गति मिलेगी या फिर प्रदर्शन में किए गए तोड़फोड़ और क्षति पहुंचाए गए नेपाली विरासतों का नेपाली अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।

 

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